लेखनी कविता - गज़ल

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गज़ल बढ़ गयी है के घट गयी दुनिया  मेरे नक़्शे से कट गयी दुनिया ' तितलियों में समा गया मंज़र  मुट्ठियों में सिमट गयी दुनिया  अपने रस्ते बनाये खुद मैंने  मेरे ...

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